मध्य प्रदेश में कृषि एवं कृषि आधारित उद्योग (Agriculture and Agro-Based Industries in Madhya Pradesh) : मध्य प्रदेश में कृषि एवं कृषि आधारित उद्योग कई हैं जैसे रबी की फसलें – गेहूं, मसूर, गन्ना, चना, अलसी, मटर आदि का उत्पादन और खरीफ की फसलें – सोयाबीन, धान, अरहर, मूंग, ज्वार, कपास, मक्का, तिल आदि एवं मध्य प्रदेश में कृषि आधारित उद्योग चीनी उद्योग सूती वस्त्र उद्योग, कृत्रिम रेशा उद्योग, वनस्पति घी उद्योग, रेशम उद्योग, सोयाबीन उद्योग, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग आदि।
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मध्य प्रदेश में कृषि (Agriculture in Madhya Pradesh)
मध्य प्रदेश एक कृषि प्रधान राज्य है जहां कृषि संबंधी कार्य मुख्य रूप से किया जाता है। मध्य प्रदेश में सोयाबीन की खेती अत्यधिक मात्रा में की जाती है। माना जाता है कि प्रदेश से प्रतिवर्ष लगभग 59 प्रतिशत सोयाबीन का उत्पादन किया जाता है जिसे पूरे देश में निर्यात किया जाता है। मध्य प्रदेश में सोयाबीन के साथ-साथ गेहूं, गन्ना, चना, मूंगफली, धान, कपास, मक्का, ज्वार, सरसों आदि की खेती अलग-अलग जिलों में की जाती है। इसके अलावा मध्य प्रदेश के पूरे भूभाग के 1 प्रतिशत भाग पर केवल साग-सब्जी पैदा की जाती है।
मध्य प्रदेश की रबी फसलें (Rabi Crops of Madhya Pradesh)
मध्यप्रदेश की रवि फसलों के नाम कुछ इस प्रकार हैं:-
- गेहूं
- मसूर
- गन्ना
- चना
- अलसी
- मटर इत्यादि।
मध्य प्रदेश की खरीफ फसलें (Kharif Crops of Madhya Pradesh)
मध्य प्रदेश की खरीफ फसलों के नाम कुछ इस प्रकार हैं:-
- सोयाबीन
- धान
- अरहर
- मूंग
- ज्वार
- कपास
- मक्का
- तिल इत्यादि।
मध्य प्रदेश में कृषि आधारित उद्योग (Agro Based Industries in Madhya Pradesh)
मध्य प्रदेश में कच्चा उत्पादित माल मुख्य रूप से कृषि क्षेत्रों पर आधारित है जो राज्य का सबसे बड़ा रोजगार का साधन भी माना जाता है। औद्योगिक उत्पादन में कृषि क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण योगदान है जिसके अंतर्गत वस्त्र, चीनी, वनस्पति घी, खाद्य प्रसंस्करण, रेशम आदि का उत्पादन किया जाता है। मध्य प्रदेश में कृषि आधारित उद्योग कुछ इस प्रकार हैं :-
- चीनी उद्योग
- सूती वस्त्र उद्योग
- कृत्रिम रेशा उद्योग
- वनस्पति घी उद्योग
- रेशम उद्योग
- सोयाबीन उद्योग
- खाद्य प्रसंस्करण उद्योग
चीनी उद्योग (Sugar Industry)
मध्य प्रदेश का चीनी उद्योग पूर्ण रूप से कृषि क्षेत्र पर आधारित है। यह प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा कृषि आधारित उद्योग माना जाता है जिसके माध्यम से प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसरों को बढ़ावा मिलता है। वर्तमान समय में मध्य प्रदेश में लगभग 26 चीनी मिल मौजूद हैं जो देवास, भोपाल, ग्वालियर, मुरैना, मंदसौर, इंदौर, उज्जैन आदि स्थानों पर मौजूद हैं। माना जाता है कि केवल मध्य प्रदेश में पूरे भारत का लगभग 45 मिलीयन टन से अधिक गन्ने का उत्पादन किया जाता है जो चीनी उद्योग का एक बड़ा हिस्सा भी माना जाता है।
सूती वस्त्र उद्योग (Cotton Textile Industry)
मध्य प्रदेश में सूती वस्त्र उद्योग को देश का तीसरा सबसे बड़ा उद्योग माना जाता है। वर्तमान समय में प्रदेश में लगभग 60 से भी अधिक सूती वस्त्र उद्योग संचालित किए जाते हैं जिसका केंद्र इंदौर में स्थित है। माना जाता है कि मध्य प्रदेश में प्रथम सूती कपड़ा मिल वर्ष 1907-08 के मध्य इंदौर में स्थापित की गई थी जो मालवा यूनाइटेड मिल्स लिमिटेड के द्वारा संचालित की जाती थी। इसके अलावा मध्य प्रदेश में लगभग 500 से भी अधिक सूती वस्त्र कारखाने भी संचालित हैं जिसके माध्यम से राज्य में सर्वाधिक मात्रा में सूती कपड़े का निर्माण किया जाता है।
कृत्रिम रेशा उद्योग (Synthetic Fiber Industry)
मध्य प्रदेश में कृत्रिम रेशा उद्योग कृषि आधारित प्रमुख उद्योग माना जाता है। प्रदेश में कृत्रिम रेशे या रेयान के सबसे बड़े कारखाने पश्चिमी मालवा के नागदा जिले में मौजूद हैं जहां से भारी मात्रा में रेशे का उत्पादन किया जाता है। कृत्रिम रेशा उद्योग मुख्य रूप से कपड़ा औद्योगिक केंद्रों को बढ़ावा देने का कार्य करता है जिसके कारखाने देवास, ग्वालियर, इंदौर, नागदा, उज्जैन आदि जिलों में स्थित हैं।
वनस्पति घी उद्योग (Vanaspati Ghee Industry)
मध्य प्रदेश में वनस्पति घी उद्योग प्रमुख उद्योगों में से एक माना जाता है जिसके निर्माण हेतु सोयाबीन, तिल, मूंगफली, सूरजमुखी आदि का प्रयोग किया जाता है। माना जाता है कि मध्य प्रदेश में लगभग 10 से भी अधिक वनस्पति घी के कारखाने मौजूद हैं जो विदिशा, खंडवा, ग्वालियर, इंदौर, जबलपुर आदि क्षेत्रों में स्थित हैं। इसके अलावा वनस्पति उद्योग के प्रमुख कारखाने छिंदवाड़ा पठार, चंबल घाटी, मालवा पठार एवं मध्य नर्मदा घाटी में भी स्थित हैं।
रेशम उद्योग (Silk Industry)
मध्य प्रदेश का रेशम उद्योग पूर्ण रूप से कृषि आधारित उद्योग है जो भारत के कुटीर उद्योग के अंतर्गत आता है। मध्य प्रदेश में कई रेशम उद्योग मौजूद हैं जहां भारी मात्रा में रेशम का उत्पादन किया जाता है। प्रदेश में रेशम के साथ-साथ टसर एवं इरी रेशम का उत्पादन भी किया जाता है। माना जाता है कि राज्य के मंडला जिले में सर्वाधिक मात्रा में रेशम के उत्पादन का कार्य किया जाता है। राज्य में रेशम के उत्पादन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 1 सितंबर, वर्ष 1984 को ग्रामीण विभाग एवं पंचायत के अधीन रेशम संचालनालय का गठन किया गया था जिसके माध्यम से पूरे राज्य में रेशम के विकास एवं विस्तार कार्यों को बढ़ावा मिलता है।
सोयाबीन उद्योग (Soybean Industry)
मध्य प्रदेश में देश के कुल 51.30 प्रतिशत सोयाबीन का उत्पादन किया जाता है। यह उद्योग पूर्ण रूप से कृषि उद्योगों पर आधारित है जिसके माध्यम से कई प्रकार के अन्य कार्यों को भी संचालित किया जाता है। माना जाता है कि सोयाबीन उत्पादन में मध्य प्रदेश देश के प्रथम स्थान पर मौजूद हैं। प्रदेश का सबसे बड़ा सोयाबीन कारखाना उज्जैन जिले में स्थित है एवं देश का सबसे बड़ा सहकारी सोयाबीन कारखाना मध्य प्रदेश के सिवनी नामक जिले में स्थित है। मध्य प्रदेश में सोयाबीन उद्योग के माध्यम से तेल एवं बिस्कुट बनाने के कार्य को भी संचालित किया जाता है। इसके अलावा प्रदेश में सोयाबीन से तेल निकालने हेतु विलायक निष्कर्षण संयंत्र को भी स्थापित किया गया है। माना जाता है कि प्रदेश का सबसे बड़ा सोयाबीन कारखाना खरगोन एवं उज्जैन नामक जिले में स्थित है।
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग (Food Processing Industry)
मध्य प्रदेश का खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मुख्य रूप से कृषि गतिविधियों पर आधारित है जिसके अंतर्गत डेयरी उत्पाद, फल, सब्जियां, पैकेट बंद भोजन बनाने आदि के कार्यों को संचालित किया जाता है। साधारण शब्दों में कहा जाए तो खाद्य प्रसंस्करण उद्योग कच्चे खाद्य पदार्थों को मानव एवं पशुओं के उपभोग के लिए तैयार है। मध्य प्रदेश में प्रथम मेगा फूड पार्क खरगोन नामक जिले में स्थापित किया गया था जिसके बाद प्रदेश के कई अन्य स्थानों जैसे होशंगाबाद, मंडला, खरगोन, मंदसौर, छिंदवाड़ा आदि क्षेत्रों में भी खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की स्थापना की गई थी।
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