निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए : (प्र. सं. 71-75)
समाज की विषमता शोषण की जननी है। समाज में जितनी विषमता होगी, सामान्यतया शोषण उतना ही अधिक होगा । चूँकि हमारे देश में सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक व सांस्कृतिक असमानताएँ अधिक हैं जिसकी वजह से एक व्यक्ति एक स्थान पर शोषक तथा वही दूसरे स्थान पर शोषित होता है । जब बात उपभोक्ता संरक्षण की हो तब पहला प्रश्न यह उठता है कि उपभोक्ता किसे कहते हैं? या उपभोक्ता की परिभाषा क्या है ? सामान्यतः उस व्यक्ति या व्यक्ति समूह को उपभोक्ता कहा जाता है जो सीधे तौर पर किन्हीं भी वस्तुओं अथवा सेवाओं का उपयोग करते हैं। इस प्रकार सभी व्यक्ति किसी-न-किसी रूप में उपभोक्ता होते हैं और शोषण का शिकार होते हैं।
हमारे देश में ऐसे अशिक्षित, सामाजिक एवं आर्थिक रूप से दुर्बल अशक्त लोगों की भीड़ है जो शहर की मलिन बस्तियों में, फुटपाथ पर, सड़क तथा रेलवे लाइन के किनारे, गंदे नालों के किनारे झोंपड़ी डालकर अथवा किसी भी अन्य तरह से अपना जीवन-यापन कर रहे हैं। वे दुनिया के सबसे बड़े प्रजातांत्रिक देशों की समाजोपयोगी ऊर्ध्वमुखी योजनाओं से वंचित हैं, जिन्हें आधुनिक सफ़ेदपोशों, व्यापारियों, नौकरशाहों एवं तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग ने मिलकर बाँट लिया है। सही मायने में शोषण इन्हीं की देन है। सरकार कितनी भी योजनाएँ बना कर लागू करे, कोई बड़ा परिवर्तन संभव नहीं है।
उपभोक्ता शोषण का तात्पर्य केवल उत्पादकता व व्यापारियों द्वारा किए गए शोषण से ही लिया जाता है जबकि इसके क्षेत्र में वस्तुएँ एवं सेवाएँ दोनों ही सम्मिलित हैं, जिनके अंतर्गत डॉक्टर, शिक्षक, प्रशासनिक अधिकारी, पुलिस, ऊँचे ओहदों पर बैठे सरकारी कर्मचारी, वकील आदि सभी आते हैं। इन सबने शोषण के क्षेत्र में जो कीर्तिमान बनाए हैं वे वास्तव में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज कराने लायक हैं। कानून के हाथ कितने भी लम्बे हों, इन सभी तक नहीं पहुँच सकते क्योंकि रक्षक जब भक्षक बन जाए तो कौन बचाए ? भ्रष्टाचार सभी की जड़ों में पहुँचा हुआ है- ऊपर से नीचे या नीचे से ऊपर । क्या कभी इन लोगों के अच्छे दिन आएँगे ?
दूसरी ओर किसी तरह अपनी इज़्ज़त-आबरू बचाता मध्यम वर्ग है जो न तो किसी पार्टी के वोट बैंक में है और न ज्यादा पढ़ा-लिखा संपन्न। न सरकार उसकी परेशानियों को समझती है और न कोई अन्य राजनैतिक पार्टी। जिनको सरकारी पेंशन नहीं मिलती, ऐसे बड़े-बूढ़े लाचार लोगों की स्थिति और भी ख़राब है। न तो उनकी संस्कार-विहीन संतान उनका ध्यान रखने को तैयार है और न सरकार उनके लिए कुछ सोच पा रही है। क्या इस विषमता को हटाने की दिशा में कोई कदम उठाया जा रहा है ? क्या पढ़े-लिखे नौजवानों को उपयुक्त रोज़गार दिए जाने की दिशा में कुछ हो रहा है ? क्या होगा इस देश का, भगवान ही जानता है।
71. हमारे देश में समाजोपयोगी ऊर्ध्वमुखी योजनाओं से वंचित वर्ग कौन सा है ?
(A) सरकारी पेंशन विहीन वयोवृद्ध जनों का वर्ग
(B) किसी तरह अपनी इज्जत आबरू बचाता समाज का मध्यम वर्ग
(C) मलिन बस्तियों, फुटपाथ, सड़क तथा रेलवे लाइन के किनारे झोंपड़ी डालकर रहने वाले अशिक्षित, दुर्बल और अशक्त लोगों का वर्ग
(D) आधुनिक सफ़ेदपोशों, व्यापारियों, नौकरशाहों एवं तथाकथित बुद्धिजीवी लोगों का वर्ग
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72. लेखक के अनुसार शोषण का शिकार कौन लोग होते हैं ?
(A) पढ़े-लिखे उपयुक्त रोजगार विहीन नवयुवकगण
(B) वस्तु एवं सेवाओं का उपयोग करने वाला उपभोक्ता समूह
(C) उत्पादकता से जुड़ा व्यापारी मंडल
(D) नौकरशाह एवं तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग
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73. समाज के मध्यम वर्ग की कौन सी समस्या है ?
(A) गरीब और श्रमिक वर्ग से सम्बंधित
(B) उच्च शिक्षित और धनाढ्य
(C) घर का हर सदस्य मजदूरी करने के लिए विवश
(D) जीवन-यापन में आर्थिक परेशानी से सामाजिक प्रतिष्ठा पर खतरा
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74. समाजोपयोगी ऊर्ध्वमुखी योजनाओं से वंचित वर्ग के शोषण के लिए कौन उत्तरदायी हैं ?
(A) राजनेता, व्यापारी वर्ग, सरकारी तंत्र एवं तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग
(B) समाज के धर्मपरायण, पंडित और कथावाचक लोग
(C) समाज का मध्यम वर्ग और उच्च वर्ग
(D) शिक्षित एवं संपन्न नौकरीपेशा वर्ग
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75. ‘शैक्षणिक’ और ‘सांस्कृतिक’ शब्द किस व्याकरणिक इकाई से सम्बंधित हैं और किस प्रत्यय से मिलकर बने हैं?
(A) संज्ञा और विशेषण शब्द अ प्रत्यय
(B) विशेषण और संज्ञा शब्द -णिक और तिक प्रत्यय
(C) विशेषण और विशेषण शब्द-इक प्रत्यय
(D) संज्ञा और संज्ञा शब्द अणिक और अतिक प्रत्यय
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निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए (प्र. सं. 76-80)
भारत प्राचीन संस्कृति का देश है। यहाँ दान पुण्य को जीवन-मुक्ति का अनिवार्य अंग माना गया था। जब दान देने को धार्मिक कृत्य मान लिया गया तो निश्चित तौर पर दान लेने वाले भी होंगे। हमारे समाज में भिक्षावृत्ति की ज़िम्मेदारी समाज के धर्मात्मा, दयालु व सज्जन लोगों की है। भारतीय समाज में दान लेना व दान देना-दोनों धर्म के अंग माने गए हैं। पहले दान देने से पूर्व दान लेने वाले की पात्रता देखी जाती थी और योग्य पात्र को दान दिया जाता था । धर्मशास्त्रों ने दान की महिमा का बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया जिसके कारण भिक्षावृत्ति को भी धार्मिक मान्यता मिल गई। धीरे-धीरे दान दाताओं ने पात्रता पर ध्यान देना बंद कर दिया और दयावश निरीह, अपाहिज और गरीबों को दान दिया जाने लगा। शनैः-शनैः समाज में और मूल्यों में बदलाव आया और अधिकतर लोग गरीबों, ब्राह्मणों और भिखारियों को दान का पात्र समझने लगे। समाज में जब इस प्रकार के परिवर्तन हुए तो धीरे-धीरे लोगों ने भिक्षा को अपनी जीविका ही बना लिया । गरीबी के कारण बेसहारा लोग भीख माँगने लगे । काम न मिलने से भी भिक्षावृत्ति को बल मिला और पूजा- स्थल, तीर्थ, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, गली-मुहल्ले आदि स्थानों पर हर जगह भिखारी दिखाई देने शुरू हो गए। इस कार्य में हर आयु के व्यक्ति शामिल होने लग गए । साल- दो साल के दूध मुँहे बच्चे से लेकर अस्सी-नब्बे वर्ष के बूढ़े तक को भीख माँगते देखा जा सकता है । आज तो भीख माँगने का भी एक कलापूर्ण व्यवसाय बनता जा रहा है ।
कुछ खानदानी भिखारी होते हैं क्योंकि पुश्तों से उनके पूर्वज धर्मस्थानों पर अपना अड्डा जमाए हुए हैं। कुछ अपराधी बच्चों को उठा ले जाते हैं तथा उनसे भीख मँगवाते हैं। वे इतने निर्दय होते हैं कि भीख माँगने के लिए बच्चों का अंग-भंग भी कर देते हैं। कुछ भिखारी अंतर्राष्ट्रीय स्तर के हैं जो देश में छोटी- सी विपत्ति आ जाने पर भीख का कटोरा लेकर भ्रमण के लिए निकल जाते हैं। इसके अलावा अनेक श्रेणी के और भी भिखारी होते हैं। कुछ भिखारी परिस्थिति से बनते हैं तो कुछ बना दिए जाते हैं। कुछ शौकिया भी इस व्यवसाय में आ गए हैं। जन्मजात भिखारी अपने स्थान निश्चित रखते हैं। कुछ भिखारी अपनी आमदनी वाली जगह दूसरे भिखारी को किराए पर देते हैं । बेरोजगारी और गरीबी के कारण कुछ वयोवृद्ध मज़बूरीवश भिखारी बनते हैं । गरीबी के कारण बेसहारा लोग भीख माँगने लगते हैं। काम न मिलना भी भिक्षावृत्ति को जन्म देता है। कुछ अपराधी बाकायदा इस काम की ट्रेनिंग देते हैं। भीख रोकर, गाकर, आँखें दिखाकर या हँसकर भी माँगी जाती है। भीख माँगने के लिए इतना आवश्यक है कि दाता के में करुणा जगे । अपंगता, कुरूपता, अशक्तता, वृद्धावस्था आदि देखकर दाता करुणामय होकर भीख देने के लिए बाध्य हो जाता है।
क्या भिक्षावृत्ति देश की एक समस्या नहीं है ? गरीबों और निर्बलों को छोड़कर कई पढ़े-लिखे और हट्टे-कट्टे भी इस वृत्ति को अपनाए हुए हैं। क्या सरकार को इस दिशा में कुछ करने की आवश्यकता नहीं है ? क्या हम लोग इन भिखारियों को करुणावश भीख दे रहे हैं ? थोड़ा सोचिए, क्या हम भी इस वृत्ति को बढ़ावा तो नहीं दे रहे हैं। अगर दान ही करना है तो गरीबों को पुस्तकें, पाठ्य सामग्री दें। गरीबों और बीमारों को दवाएँ और अस्पताल की सुविधाएँ दिलाएँ। इन लोगों को भीख के स्थान पर रोजगार की व्यवस्था कराएँ। नकद देना बंद करें। भीख माँगने वालों को खाना खिलाएँ पर कभी उन्हें नकद पैसे न दें। अगर जनता और सरकार दोनों मिलकर काम करें और भीख माँगने वालों को पुलिस के हवाले करना शुरू कर दें, तो इस पर काबू पाया जा सकता है।
76. क्या भिक्षावृत्ति देश की एक समस्या है ? आपका इस विषय में क्या विचार है ?
(A) भिक्षावृत्ति समस्या नहीं है क्योंकि दान-पुण्य तो भारतीय संस्कृति का एक धार्मिक कृत्य है।
(B) भिक्षावृत्ति देश की समस्या को हल करती है क्योंकि गरीबों, अपंगों और बेरोजगारों की जीविका इससे ही चल रही है।
(C) भिक्षावृत्ति देश की एक ज्वलंत समस्या बन गई क्योंकि लोग इसको जानबूझकर अपना व्यवसाय बना रहे हैं ।
(D) भिक्षावृत्ति में लोग स्वेच्छया दान दे रहे हैं इसलिए इसको समस्या नहीं माना जा सकता ।
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77. विभिन्न स्थलों पर लोग भीख देने के लिए क्यों बाध्य हो जाते हैं ?
(A) भिखारी लोगों के पीछे लग जाते हैं और उन्हें भीख देने के लिए बाध्य कर देते हैं।
(B) अपंगता, कुरूपता, अशक्तता, वृद्धावस्था आदि देखकर लोग भीख देने के लिए बाध्य हो जाते हैं।
(C) धार्मिक स्थलों पर लोग दान-पुण्य की भावना से जाते हैं और कंगाल भिखारियों को दान के रूप में भीख देते हैं।
(D) लोगों के पास अन्याय, अनीति और चोरी का पैसा होता है और दान देकर वे अपनी आत्मा पर रखे बोझ को कम करते हैं।
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78. भीख न देकर भी दूसरों की मदद करने के लिए कौन सा विकल्प सही नहीं है ?
(A) गरीबों और निर्बलों को शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार की व्यवस्था करके मदद करना ।
(B) पैसे देकर किसी भिखारी को रोजगार-धंधे के लिए प्रेरित करके मदद करना ।
(C) गरीबों के बच्चों के स्कूल में फीस जमा कराके और पुस्तकें और अन्य पाठ्य सामग्री देकर मदद करना ।
(D) रोगियों को चिकित्सा सुविधा दिलाकर तथा विभिन्न सरकारी योजनाओं से परिचित कराके मदद करना ।
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79. दान-पुण्य और जीवन-मुक्ति में कौन से समास हैं ?
(A) तत्पुरुष और द्वंद्व
(B) द्वंद्व और तत्पुरुष
(C) कर्मधारय और द्वंद्व
(D) द्वंद्व और अव्ययीभाव
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80. खानदानी भिखारी कैसे होते हैं ?
(A) जो खुद भीख न माँगकर अपने स्थान को दूसरे किसी भिखारी को भीख माँगने के लिए भाड़े पर दे देते हैं।
(B) जो छोटे बच्चों के अंग-भंग करके उनसे जबरदस्ती भीख मँगवाते हैं।
(C) जिनकी भीख माँगने की जगह पुश्तैनी है और पीढ़ियों से निश्चित है ।
(D) जो देश में छोटी-सी विपत्ति आ जाने पर भीख का कटोरा लेकर भ्रमण के लिए निकल जाते हैं ।
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