जाइलम और फ्लोएम में अंतर ( फ्लोएम और जाइलम में अंतर )

जाइलम और फ्लोएम किसे कहते हैं – जाइलम और फ्लोएम में अंतर

जाइलम और फ्लोएम में अंतर ( फ्लोएम और जाइलम में अंतर ) : जाइलम (Xylem) किसे कहते हैं, जाइलम के प्रकार, फ्लोएम (Phloem) किसे कहते हैं, जाइलम और फ्लोएम में अंतर ( difference between xylem and phloem in hindi ) आदि प्रश्नों के उत्तर यहाँ दिए गए हैं।

जाइलम (Xylem) किसे कहते हैं

जाइलम पौधों में पाया जाने वाला एक जटिल ऊतक होता है जो मुख्य रूप से पौधों की जड़ों के माध्यम से तने एवं पत्तियों तक पानी एवं अन्य पोषक तत्व को पहुंचाने का कार्य करता है। यह पौधों को आंतरिक रुप से शक्ति प्रदान करने में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जाइलम के माध्यम से पौधों में रसारोहण की क्रिया होती है। जाइलम वास्तव में मोटी परत वाले मृत ऊतक होते हैं जो पौधों की जड़ से उनके अन्य भागों तक पानी एवं अन्य पदार्थों को समय-समय पर पहुंचाते हैं।

जाइलम के प्रकार ( Types of xylem in hindi )

वैज्ञानिकों के अनुसार पौधों में पाए जाने वाले जाइलम मुख्य रूप से चार प्रकार के होते हैं:-

  • जाइलम तंतु (Xylem Fibers)
  • वाहिनिकाएँ (Ducts)
  • जाइलम मृदूतक (Xylem Parenchyma)
  • वाहिकाएं (Vessels)

जाइलम तंतु (Xylem Fibers)

जाइलम तंतु मुख्य रूप से पौधों में पाए जाने वाली कोशिकाएं होती हैं जिनकी आकृति लंबी एवं नुकीली होती है। जाइलम तंत्र में मौजूद कोशिका भित्ति (Cell Wall) मोटी एवं गर्त युक्त होती है एवं इन में पाई जाने वाली केंद्रिका गुहिका (Nuclear Cavity) न के बराबर होती है। जाइलम तंतु के दो प्रकार होते हैं पहला प्राथमिक जाइलम (Primary Xylem) एवं दूसरा द्वितीयक जाइलम (Secondary Xylem)। द्वितीयक वृद्धि से पूर्व उपस्थित जाइलम को प्राथमिक जाइलम कहा जाता है एवं द्वितीयक वृद्धि के पश्चात बनने वाले जाइलम को द्वितीयक जाइलम का नाम दिया गया है।

वाहिनिकाएँ (Ducts)

जाइलम में मौजूद वाहिनिकाओं की लंबाई कम होती है एवं यह कम व्यास की होती हैं। यह मुख्य रूप से पौधों में मौजूद होती हैं जिनके दोनों सिरों पर पतली कोशिकाएं होती हैं। वाहिनिकाओं का मुख्य कार्य जल एवं घुलनशील तत्वों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक स्थानांतरित करना एवं पौधों को सहारा प्रदान करना होता है। इनमें पाई जाने वाली कोशिका भित्ति (Cell Wall) सख्त एवं लिग्निन युक्त (Lignin) होती है।

जाइलम मृदूतक (Xylem Parenchyma)

पौधों में पाए जाने वाली जाइलम मृदूतक की कोशिकाएं मृदु ऊतक प्रकार की होती हैं इसीलिए इन्हें जाइलम मृदूतक कहा जाता है। यह कोशिकाएं जीवित एवं जीवद्रव्य युक्त होती हैं जो मुख्य रूप से पौधों में जल संवहन एवं भोजन संचय का कार्य करते हैं।

जाइलम वाहिकाएं (Vessels)

पौधों में पाई जाने वाली जाइलम वाहिकाएं वास्तव में निर्जीव नली होती है जो पौधों की जड़ों से होते हुए प्रत्येक पत्तियों एवं तनों से होकर गुजरती हैं। जाइलम वाहिकाओं की कोशिकाओं के सिरे टूटे हुए या बिखरे हुए होते हैं जिसकी सहायता से नालियों की कार्यप्रणाली बेहतर ढंग से कार्य करती है। इसके अलावा जाइलम वाहिकाओं में नाभिक (Nucleus) एवं साइटोप्लाज्म (Cytoplasm) की उपस्थिति नहीं होती है। इनकी वाहिकाओं की सतह लिग्निन (Lignin) एवं सेल्यूलोज (Cellulose) से निर्मित होती हैं।

 

फ्लोएम (Phloem) किसे कहते हैं

फ्लोएम पौधों में पाए जाने वाला एक जटिल स्थाई ऊतक कोशिकाओं का समूह होता है जिसमें विभिन्न प्रकार की कोशिकाएं मौजूद होती हैं। यह पौधों की जड़ों से लेकर तनों एवं पत्तियों तक जरूरी तत्वों का स्थानांतरण करने का कार्य करता है। यह मुख्य रूप से संवहन वंडल के अंदर मौजूद होता है। फ्लोएम पौधों की पत्तियों से भोजन को पौधों के अन्य भागों तक पहुंचाता है जिसके कारण इसे पोषवाह के नाम से भी जाना जाता है। इसका प्रमुख कार्य पौधों में ऊपर की तरफ (उपरिमुखी) एवं नीचे की तरफ (अधोमुखी) तक सभी कार्बनिक खाद्य पदार्थों का संचालन करना होता है।

फ्लोएम के प्रकार ( types of phloem in hindi )

फ्लोएम के मुख्य रूप से चार प्रकार होते हैं जैसे:-

  • सह कोशिकाएं (Companion Cells)
  • चालनी नलिकाएं (Sieve Tubes)
  • फ्लोएम तंतु (Phloem Fibers)
  • फ्लोएम मृदूतक (Phloem Parenchyma)

सह कोशिकाएं (Companion Cells)

फ्लोएम में पाई जाने वाली सह कोशिकाओं को सहचर के नाम से भी जाना जाता है। यह वास्तव में जीव द्रव्य युक्त एवं मृदुत्तकी जीवित कोशिकाएं होती हैं जो चालनी नलिकाओं से संलग्न रहती है। सह कोशिकाएं चालनी नलिकाओं को नियंत्रित करने का कार्य करती हैं। इसके अलावा इनमें एमबुमिनस कोशिकाओं (Albuminous Cells) की उपस्थिति भी होती है। यह एक विशेष प्रकार की मृदूतक कोशिकाएं होती हैं जिनमें कोशिका द्रव्य के अपेक्षाकृत गाढ़ी एवं छोटी-छोटी रिक्तिकाएं होती हैं। सह कोशिकाओं एवं चालनी नलिका के मध्य उपस्थिति भित्ति में अनेकों सूक्ष्म छिद्र मौजूद होते हैं जिनके माध्यम से कोशिका द्रव्य तंतु इन दोनों कोशिकाओं के मध्य संबंध स्थापित करते हैं।

चालनी नलिकाएं (Sieve Tubes)

चालनी नलिकाएं अन्य नलिकाओं के समान लंबे आकार की होती हैं जो मुख्य रूप से चालनी कोशिकाओं के एक के ऊपर एक रेखित क्रम में व्यवस्थित रूप से स्थित होती हैं। इन कोशिकाओं की भित्ति में अनेकों सूक्ष्म छिद्र मौजूद होते हैं। यह परिपक्व अवस्था में जीव द्रव्य परिधि की ओर तथा मध्य में बढ़ी रिक्तिका के ओर बनती है। चालनी नलिकाओं में केंद्रक की उपस्थिति नहीं होती है। इसके अलावा यह सह कोशिकाओं के द्वारा नियंत्रित की जाती हैं।

फ्लोएम तंतु (Phloem Fibers)

फ्लोएम तंतु को फ्लोएम रेशों के नाम से भी जाना जाता है। यह फ्लोएम में पाई जाने वाली लंबी एवं दृढ़ोतक कोशिकाएं होती हैं। फ्लोएम तंतु में उपस्थित कोशिका भित्ति लिग्निन युक्त होती है जिनमें अनेक प्रकार के तरल गर्त की उपस्थिति होती है। इसके अलावा इसमें मौजूद तंतु एवं रेशे जैसी निर्जीव कोशिकाएं मुक्त सिरों वाली एवं विभाजन भित्ति रहित भी होती है। फ्लोएम तंतु प्रथम फ्लोएम में अनुपस्थित होती है जबकि यह द्वितीय फ्लोएम में उपस्थित होती है। इनका आकार लंबा, अशाखित एवं नुकीला होता है।

फ्लोएम मृदूतक (Phloem Parenchyma)

फ्लोएम में पाई जाने वाले फ्लोएम मृदूतक का आकार लंबा एवं बेलनाकार होता है। यह वे जीवित कोशिकाएं होती हैं जिनकी कोशिका भित्ति सैलूलोज (Cellulose) एवं गतियुक्त होती हैं। यह मुख्य रूप से पौधों में खाद्य पदार्थों (Types of Foods), म्यूसिलेज (Mucilage), लेटेक्स (Latex), रेजिन (Resins) आदि का संचालन करने हेतु एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। फ्लोएम मृदूतक में बीजपत्री पादपों का अभाव रहता है। इसके अलावा फ्लोएम मृदूतक की कोशिकाओं का प्रमुख कार्य कई प्रकार के क्रिस्टलों (Crystals), टेनिन पदार्थों (Tannin Substances) एवं म्यूसिलेज पदार्थों (Mucilage Substances) का संचय करना भी होता है।

 

जाइलम और फ्लोएम में अंतर ( difference between xylem and phloem in hindi )

जाइलम एवं फ्लोएम में निम्नलिखित देखे जा सकते हैं:-

  • जाइलम मुख्य रूप से पौधों में जल एवं अन्य जरूरी खनिज पदार्थों का संचालन करता है जबकि फ्लोएम पौधों में भोजन का निर्वाहन करता है।
  • जाइलम में मृत कोशिकाओं की उपस्थिति होती है परंतु फ्लोएम में जीवित कोशिकाओं की उपस्थिति होती है।
  • जाइलम में एकदिशीय परिवहन होता है जबकि फ्लोएम में द्विदिशीय परिवहन होता है।
  • जाइलम में दबाव ऋणात्मक होता है जबकि फ्लोएम में दबाव धनात्मक होता है।
  • जाइलम के नलिकाओं एवं वाहिकाओं में मृत कोशिकाओं की संख्या देखी जा सकती है परंतु फ्लोएम में चालनी नलिकाओं एवं सहायक कोशिकाएं जीवित अवस्था में होती हैं।
  • जाइलम में खनिज पदार्थों का परिवहन नलिकाओं एवं वाहिकाओं के माध्यम से होता है जबकि फ्लोएम में भोजन का परिवहन चालनी नलिकाओं एवं सहायक कोशिकाओं के माध्यम से होता है।

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