MPPSC Pre CSAT Exam Paper 17 December 2023 - Paper 2 (Answer Key)

MPPSC Pre CSAT Exam Paper 17 December 2023 – Paper 2 (Answer Key)

निर्देश (प्रश्न संख्या 61 से 65 ) : दिए गए गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए ।
गद्यांश – 1
अगर लोक-साहित्य की ज़रूरत हो तो वह विद्यालय के अध्यापक या कॉलेज के प्राध्यापक के पास नहीं मिलेगा, किसी राजकीय कर्मचारी के पास या विलायत या अमेरिका से खेती-बाड़ी का प्रशिक्षण लेकर आने वाले किसान के पास नहीं मिलेगा । लोक साहित्य तो रहता है चड़स हाँकने वाले किसान के पास या खेतों में भाथा लेकर जाने वाली भथवारी के पास । या तो वह रहता है पनघट जाने वाली पनिहारिन के घड़े में या फिर रहता है किसी ईंधन बटोरने वाली बुढ़िया के पास । लोक साहित्य रहता है सोनी या लुहार के पास या फिर रहता है कुम्हार के चाक में । कभी वह तम्बूरे की रणकार में रहता है, तो कभी चूड़ियों की झनकार में रहता है । भाट-चारण और पुराने जोगी-जती लोक-साहित्य के ज्ञाता होते हैं । कई बार तो वह रहता है माताजी को अर्पित नर-नारियों के पास, तो काफी कुछ रहता है ग्वालों की जीभ पर । लोक-साहित्य की शोध करनी हो तो शहर छोड़कर गाँवों में जाना पड़ेगा या गाँव छोड़कर सिवान में जाना पड़ेगा ।

61. लोक-साहित्य के ज्ञाता होते हैं
(A) विद्यालय के प्राध्यापक
(B) कॉलेज के प्राध्यापक
(C) राजकीय कर्मचारी
(D) भाट-चारण और पुराने जोगी – जती

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Answer – D

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62. ग्वालों के किस अंग पर लोक साहित्य निवास करता है ?
(A) कान पर
(B) जीभ पर
(C) पैर पर
(D) आँख पर

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Answer – B

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63. लोक-साहित्य कहाँ रहता है ?
(A) चड़स हाँकने वाले किसान के पास
(B) विद्यालय के अध्यापक के पास
(C) अमेरिका से प्रशिक्षण प्राप्त किसान के पास
(D) राजकीय कर्मचारी के पास

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Answer – A

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64. ‘तम्बूरा’ क्या है ?
(A) लोक वाद्य
(B) लोक नृत्य
(C) लोक नाट्य
(D) लोक गीत

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Answer – A

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65. लोक-साहित्य की ज़रूरत पड़ने पर कहाँ जाना होगा ?
(A) विलायत
(B) शहर
(C) विश्वविद्यालय
(D) गाँव

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Answer – D

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निर्देश ( प्रश्न संख्या 66 से 70 ) : दिए गए गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए ।
गद्यांश – 2

शंकरदेव असमिया नाटक तथा रंगमंच के जनक हैं । उन्होंने आज से लगभग पाँच सौ वर्ष पूर्व नाटक लिखने तथा मंचन करने की शुरुआत की, उस समय संस्कृत नाटक अपने उतार पर था तथा अन्य प्रांतीय भाषाओं अर्थात् उत्तर भारतीय भाषाओं में नियमित तथा विशिष्ट नाट्य साहित्य का विकास नहीं हुआ था । ऐसे में एक प्रश्न स्वाभाविक तौर पर उठाया जा सकता है कि मध्यकालीन भारत में प्रारंभिक दौर में शंकरदेव ने अपने स्तर पर नियमित रंगमंच तथा सम्पूर्ण लंबाई वाले नाटकों का लेखन किस तरह से किया ? कला के समग्र परिवेश के परिप्रेक्ष्य में भी यह सवाल अत्यंत महत्त्वपूर्ण हो जाता है । अपनी एक रचना में शंकरदेव ने अपना परिचय देते हुए लिखा कि उनका संबंध एक गंधर्व कुल से रहा है तथा यह भी कि उनके पिता, कुसुम्बर अपने जमाने के प्रमुख गंधर्व रहे थे । गंधर्व पद का सीधा सा अर्थ है – गायक तथा संगीतविद् ।

66. असमिया रंगमंच के जनक हैं।
(A) कुसुम्बर
(B) शंकरदेव
(C) गंधर्व
(D) माधव देव

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Answer – B

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67. शंकरदेव के समय संस्कृत नाटक की स्थिति थी
(A) चढ़ान पर
(B) उतार पर
(C) मध्यान पर
(D) इनमें से कोई नहीं

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Answer – B

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68. कुसुम्बर कौन थे ?
(A) नाटककार
(B) चित्रकार
(C) गायक और संगीतविद्
(D) स्वर्णकार

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Answer – C

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69. शंकरदेव का समय है
(A) प्राचीन काल
(B) मध्यकाल
(C) रीतिकाल
(D) आधुनिक काल

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Answer – B

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70. असमिया नाटक लेखन की शुरुआत मानी जाती है
(A) 1000 वर्ष पूर्व
(B) 1500 वर्ष पूर्व
(C) 200 वर्ष पूर्व
(D) 500 वर्ष पूर्व

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Answer – D

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