निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए: (प्र. 31-35)
मेरे एक मित्र हैं, बड़े विद्वान, स्पष्टवादी और नीतिमान । वह इस राज्य के बहुत प्रतिष्ठित नागरिक हैं। उनसे मिलने से सदा नयी स्फूर्ति मिलती है । यद्यपि वह अवस्था में मुझसे छोटे हैं, तथापि मुझे सदा सम्मान देते . हैं। इस देश में यह एक अच्छी बात है कि सब प्रकार से हीन होकर भी यदि कोई उम्र में बड़ा हो, तो थोड़ा-सा आदर पा ही जाता है। मैं भी पा जाता हूँ। मेरे इस मित्र की शिकायत थी कि देश की दुर्दशा देखते हुये भी मैं कुछ कह नहीं रहा हूँ, अर्थात् इस दुर्दशा के लिये जो लोग जिम्मेदार हैं उनकी भर्त्सना नहीं कर रहा हूँ। यह एक भयंकर अपराध है । कौरवों की सभा में भीष्म ने द्रौपदी का भयंकर T अपमान देखकर भी जिस प्रकार मौन धारण किया था, वैसे ही कुछ मैं और मेरे जैसे कुछ अन्य साहित्यकार चुप्पी साधे हैं। भविष्य इसे उसी तरह क्षमा नहीं करेगा जिस प्रकार भीष्म पितामह को क्षमा नहीं किया गया। मैं थोड़ी देर तक अभिभूत होकर सुनता रहा और मन में पापबोध का भी अहसास हुआ। सोचता रहा, कुछ करना चाहिये, नहीं तो भविष्य क्षमा नहीं करेगा । वर्तमान ही कौन क्षमा कर रहा हैं ? काफी देर तक मैं परेशान रहा-चुप रहना ठीक नहीं है, कम्बख्त भविष्य कभी माफ नहीं करेगा। उसकी सीमा भी तो कोई नहीं है । पाँच हजार वर्ष बीत गये और अब तक बेचारे भीष्म पितामह को क्षमा नहीं किया गया । भविष्य विकट असहिष्णु है । काफी देर बाद भ्रम दूर हुआ। मैं भीष्म नहीं हूँ। अगर हिन्दी में लिखनेवाला कोई भीष्म हो जाता हो, तो भी मुझे कौन पूछता है ? बहुत ज्ञानी-गुणी भरे पड़े हैं। मुझसे अवस्था में, ज्ञान में, प्रतिभा में बहुत आगे । मुझे कोई डर नहीं है। ‘भविष्य’ नामक महादुरन्त अज्ञात मुझे किसी गिनती में लेने वाला नहीं हैं। डरना हो तो वे ही लोग डरें, जिनकी गिनती हो सकती है। तुम क्यों घबराते हो, मनसाराम, तुम तो न तीन में, न तेरह में, बड़ी राहत मिली इस यथार्थबोध से।
31. ‘न तीन में, न तेरह में’ मुहावरे का कौन सा अर्थ ठीक लगता है ?
(A) धोखे में रहना ।
(B) बहुत ही महत्वपूर्ण होना ।
(C) धैर्यपूर्वक सोचना |
(D) किसी भी गिनती में न आना ।
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32. ‘भर्त्सना’ का क्या तात्पर्य है ?
(A) निंदा और तिरस्कार
(B) अपमान
(C) चुगली
(D) विरोध
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33. लेखक की परेशानी का क्या कारण था ?
(A) लेखक और उनके जैसे साहित्यकारों को भविष्य कभी क्षमा नहीं करेगा जैसे भीष्म को आज तक क्षमा नहीं किया गया ।
(B) लेखक के मित्र ने शिकायत की और उन्हें बताया कि देश की दुर्दशा देखते हुये भी वह कुछ कह नहीं रहा है ।
(D) भविष्य विकट असहिष्णु है और भविष्य की कोई सीमा नहीं होती ।
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34. भीष्म पितामह को क्षमा क्यों नहीं किया गया ?
(A) कौरवों की सभा में भीष्म ने द्रौपदी का भयंकर अपमान देखकर भी मौन धारण किया था।
(B) क्योंकि भीष्म ने महाभारत के युद्ध में कौरवों के पक्ष में युद्ध किया था ।
(C) भीष्म के मन में पापबोध का अहसास हुआ था ।
(D) भीष्म बहुत बड़े ज्ञानी थे और पक्षपाती होने से उन्हें भविष्य ने क्षमा नहीं किया ।
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35. लेखक को किस यथार्थबोध से राहत मिली?
(A) लेखक के अभिभूत होकर सुनते रहने और मन में पापबोध का अहसास होने से राहत मिली।
(B) लेखक के मित्र ने जो शिकायत की थी वह सही नहीं थी ।
(C) लेखक के मित्र उनसे अवस्था में छोटे थे और वे लेखक का सम्मान भी करते थे ।
(D) लेखक भीष्म नहीं थे और उनसे अवस्था में, ज्ञान में, प्रतिभा में बहुत आगे बहुत से ज्ञानी-गुणी लोग भरे पड़े हैं, उन्हें भविष्य नामक महादुरंत जंतु से डरना चाहिए ।
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निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए: (प्र. 36-40)
राष्ट्र केवल ज़मीन का टुकड़ा ही नहीं बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत होती है जो हमें अपने पूर्वजों से परंपरा के रूप में प्राप्त होती है। जिसमें हम बड़े होते हैं, शिक्षा पाते हैं और साँस लेते हैं-हमारा अपना राष्ट्र कहलाता है और उसकी पराधीनता व्यक्ति की परतंत्रता की पहली सीढ़ी होती है। ऐसे ही स्वतंत्र राष्ट्र की सीमाओं में जन्म लेने वाले व्यक्ति का धर्म, जाति, भाषा या संप्रदाय कुछ भी हो, आपस में स्नेह होना स्वाभाविक है। राष्ट्र के लिए जीना और काम करना, उसकी स्वतंत्रता तथा विकास के लिए काम करने की भावना राष्ट्रीयता कहलाती है ।
जब व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति से धर्म, जाति, कुल आदि के आधार पर व्यवहार करता है तो उसकी दृष्टि संकुचित हो जाती है। राष्ट्रीयता की अनिवार्य शर्त है – देश को प्राथमिकता, भले ही हमें ‘स्व’ को मिटाना पड़े । महात्मा गांधी, तिलक, सुभाषचन्द्र बोस आदि के कार्यों से पता चलता है कि राष्ट्रीयता की भावना के कारण उन्हें अनगिनत कष्ट उठाने पड़े किंतु वे अपने निश्चय में अटल रहे । व्यक्ति को निजी अस्तित्व कायम रखने के लिए पारस्परिक सभी सीमाओं की बाधाओं को भुलाकर कार्य करना चाहिए तभी उसकी नीतियाँ- रीतियाँ राष्ट्रीय कही जा सकती हैं।
जब-जब भारत में फूट पड़ी, तब-तब विदेशियों ने शासन किया । चाहे जातिगत भेदभाव हो या भाषागत- तीसरा व्यक्ति उससे लाभ उठाने का अवश्य यत्न करेगा । आज देश में अनेक प्रकार के आंदोलन चल रहे हैं। कहीं भाषा को लेकर संघर्ष हो रहा है तो कहीं धर्म या क्षेत्र के नाम पर लोगों को निकाला जा रहा है जिसका परिणाम हमारे सामने है। आदमी अपने अहं में सिमटता जा रहा है। फलस्वरूप राष्ट्रीय बोध का अभाव परिलक्षित हो रहा है। यदि हमारे राजनेता अपने स्वार्थ के लिए संस्कृति के इस मूल सन्देश को भूलकर देश की जनता को गलत दिशा देंगे, तब-तब देश के अंदर अस्थिरता, फूट, अंतर्विरोध, गृह-युद्ध जैसे हालात जन्म लेंगे और इसका फ़ायदा अन्य बाहरी देशों को होगा ।
अतएव एक जागरूक नागरिक के रूप में हमें इस बात को गहराई से समझते हुए तुच्छ मतभेदों को त्यागकर अपने मत का सदुपयोग करना चाहिए, जिससे चुने गए हमारे प्रतिनिधि राष्ट्र के लिए निर्माणात्मक दिशा दे सकें । जाति, भाषा और धर्म से ऊपर उठकर और नेताओं के भाषणों से प्रभावित हुए बिना हमें विवेकपूर्वक देश के उत्थान में अपना सहयोग देना चाहिए ।
36. राष्ट्र, सांस्कृतिक और विरासत क्रमशः कौन सी व्याकरणिक इकाइयाँ हैं ?
(A) संज्ञा, विशेषण और विशेषण
(B) विशेषण, संज्ञा और संज्ञा
(C) संज्ञा, संज्ञा और संज्ञा
(D) संज्ञा, विशेषण और संज्ञा
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37. ‘अंतर्विरोध’ शब्द में किस प्रकार की संधि है ?
(A) अयादि संधि
(B) पूर्वरूप संधि
(C) विसर्ग संधि
(D) हल् संधि
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38. व्यक्ति की दृष्टि कब संकुचित हो जाती है ?
(A) जब व्यक्ति ‘राष्ट्रीयता’ को ‘स्व’ से ऊपर रखकर सोचता है।
(B) जब व्यक्ति राजनेताओं के भाषणों से प्रभावित होकर विवेकपूर्वक उनको वोट देता है ।
(C) जब व्यक्ति धर्म, जाति, कुल आदि को प्रमुख मानने लगता है ।
(D) जब राजनेता जनता को लुभाने के लिए बड़े-बड़े वायदे करते हैं ।
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39. एक जागरूक नागरिक के रूप में हमारा क्या कर्तव्य है ?
(A) धर्म, जाति, भाषा आदि के तुच्छ मतभेदों को भुलाकर एक सुयोग्य और कर्मठ व्यक्ति को मत दें।
(B) हम अपनी जाति, संप्रदाय और बिरादरी के उत्थान का ध्यान रखते हुए मतदान करें ।
(C) सभी राजनेता एक जैसे ही होते हैं इसलिए किसी को भी वोट नहीं दें ।
(D) हम नेताओं के भाषणों को बिलकुल भी नहीं सुनें और अपनी इच्छानुसार किसी भी नेता को वोट दें ।
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40. देश में चलने वाले अनेक प्रकार के आन्दोलनों का क्या परिणाम होता है ?
(A) लोगों को अधिकार प्राप्त होंगे और स्थानीय लोग उन आंदोलनकारियों को अपना नेता मानने लगेंगे।
(B) देश के अंदर स्थिरता पैदा होगी और आपसी प्रेम और भाईचारा बढ़ेगा ।
(C) आपली घृणा और विद्वेष पैदा कर देने से राजनैतिक दलों को अपने वोट बैंक बढ़ाने में मदद मिलेगी।
(D) आन्दोलनों से सरकार आंदोलनकारियों की बात सुन पाएगी ।
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