111. जब दण्ड प्रक्रिया संहिता के प्रावधान के अंतर्गत भारतीय दण्ड संहिता की धारा 376 घ के अधीन पारित किसी दंडादेश के विरुद्ध अपील दायर की गई है तो अपील का निपटारा, ऐसी अपील दायर किए जाने की दिनांक से ____ की अवधि के भीतर किया जावेगा
(1) दो वर्ष
(2) एक वर्ष
(3) छह माह
(4) तीन माह
(5) अनुत्तरित प्रश्न
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112. निम्न में से किस परिस्थिति में धारा 379 दं.प्र.सं. के अंतर्गत उच्चतम न्यायालय को अपील नहीं की जा सकती है भले ही उच्च न्यायालय ने अभियुक्त व्यक्ति के दोषमुक्ति के आदेश को अपील में उलंट दिया है और उसे दोषसिद्धि करते हुए ?
(1) दस वर्ष की अवधि का कारावास दिया है।
(2) दस वर्ष से कम अवधि का कारावास दिया हैं
(3) आजीवन कारावास का दण्ड दिया है ।
(4) मृत्युदण्ड दिया है ।
(5) अनुत्तरित प्रश्न
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113. धारा 313 दण्ड प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत न्यायालय द्वारा अभियुक्त की परीक्षा की जाती है :
(1) न्यायालय के विवेकानुसार शपथ दिलाकर या बिना शपथ दिलाए
(2) यह चेतावनी देने के उपरान्त कि वह कथन करने के लिए बाध्य नहीं है ।
(3) बिना शपथ दिलाए
(4) शपथ दिलाकर
(5) अनुत्तरित प्रश्न
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114. परिवाद से भिन्न आधार पर संस्थित किसी समन मामले में मजिस्ट्रेट निर्णय सुनाये जाने से पूर्व किसी भी प्रक्रम पर दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की किस धारा के अधीन कार्यवाही को रोक सकता है ?
(1) धारा 268
(2) धारा 259
(3) धारा 257
(4) धारा 258
(5) अनुत्तरित प्रश्न
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115. दण्ड प्रक्रिया संहितां, 1973 में अभिवाक् सौदेबाज़ी का प्रावधान किया गया है
(1) धारा 265 से 265 ट में
(2) धारा 265 क. से 266 में
(3) धारा 265 ख से 265 ड में
(4) धारा 265 क से 265 ठ में
(5) अनुत्तरित प्रश्न
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116. निम्न में से कौन सा वाद धारा 438 दं.प्र. सं. के अंतर्गत अग्रिम जमानत से संबंधित नहीं है ?
(1) भद्रेश बिपिनभाई सेठ ब. गुजरात राज्य
(2) सिद्धाराम सतलिंगप्पा ब. महाराष्ट्र राज्य
(3) गुरुबक्श सिंह सिबिया ब. पंजाब राज्य
(4) अजय कुमार परमार ब. राजस्थान राज्य
(5) अनुत्तरित प्रश्न 1
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117. निम्न में से किसका सही मिलान नहीं है ?
(1) पक्षकारों को सुनने का न्यायालय का विकल्प – धारा 403
(2) अपर-सेशन न्यायाधीश की शक्ति – धारा 400
(3) सेशन न्यायाधीश की पुनरीक्षण की शक्तियाँ – धारा 399
(4) अन्तर्वर्ती आदेश के संबंध में पुनरीक्षण की शक्ति – धारा 397(1)
(5) अनुत्तरित प्रश्न
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118. यदि अपराध केवल जुर्माने से दण्डनीय है तो दं.प्र.सं. में संज्ञान लेने के लिए परिसीमा काल है :
(1) एक वर्ष
(2) नौ मास
(3) छह मास
(4) तीन मांस
(5) अनुत्तरित प्रश्न
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119. धारा 446 दं.प्र.सं. के अंतर्गत जब कोई बंधपत्र समपहृत कर लिया जाता है और शांस्ति का भुगतान नहीं किया जाता है तो प्रतिभू के रूप में आबद्ध व्यक्ति कारावासित किया जा सकेगा जिसकी अवधि का विस्तार :
(1) सिविल कारागार में छह माह तक का होगा ।
(2) सिविल कारागार में तीन माह तक का होगा ।
(3) जेल में छह माह तक का होगा ।
(4) जेल में तीन माह तक होगा ।
(5) अनुत्तरित प्रश्न
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120. दं. प्र.सं. की धारा 478 प्रयोज्य नहीं होती :
(1) धारा 110 दं. प्र. सं. पर
(2) धारा 109 दं. प्र. सं. पर
(3) धारा 108 दं. प्र.सं. पर
(4) धारा 107 दं. प्र.सं. पर
(5) अनुत्तरित प्रश्न
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